जयति जय जय हे, योग विद्या संस्थान
पुरा संस्कृति और नव युग का प्रतिष्ठान।

जयति………………………………

आत्मा गौरव राष्ट्र निष्ठा विश्वभर में प्रतिष्ठा
ऋषि  पतंजलि योग, शिक्षा का यह धाम ।

जयति………………………………

चरक सुश्रुत धन्वन्तरि की साधना  का सार लेकर
विश्व-मंगल कामना का करता यह आव्हान।

जयति………………………………

सर्वे भवन्तु सुखिनः जनमानस का है भान
जड़ी-बूटी वनौषधि से हो पूर्ण यह अभियान।

जयति………………………………

योग, आयुर्वेद विज्ञान शोध् और अनुसंधान
शाश्वत संस्कृति मनोहर दृढ संकल्प का वरदान।

जयति………………………………

सुप्त जग को जागृत करता इसका अनुपम गान
युग चेतना नव क्रान्ति ये योगपीठ महान्।

जयति………………………………

गांव, किसान, जवान स्वदेशी का अभियान।
जन-जन को आन्दोलित करता भारत स्वाभिमान।

जयति………………………………

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